व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है.I
भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते हैं अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते.